सोनै री धरती जठै चांदी रो असमान. रंग रंगीलो रसभरयो म्हारो प्यारो राजस्थान... भाई, हिंदी में तो घणा ई ब्लॉग है. मायड़भाषा राजस्थानी में बणाओ तो बांचणियाँ नै ठाठ आसी... आपां ई जे राजस्थानी में नईं मांडस्यां तो कुण मांडसी? डॉ. सत्यनारायण सोनी प्राध्यापक (हिंदी) राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय, परलीका (हनुमानगढ़)
सोनै री धरती जठै
ReplyDeleteचांदी रो असमान.
रंग रंगीलो रसभरयो
म्हारो प्यारो राजस्थान...
भाई, हिंदी में तो घणा ई ब्लॉग है. मायड़भाषा राजस्थानी में बणाओ तो बांचणियाँ नै ठाठ आसी...
आपां ई जे राजस्थानी में नईं मांडस्यां तो कुण मांडसी?
डॉ. सत्यनारायण सोनी
प्राध्यापक (हिंदी)
राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय, परलीका (हनुमानगढ़)
धोरी री धरती रो रस तो इण मेहनत में ही बसे है.
ReplyDeleteसपणौं रो झुँझारपणों इन्हे ही केहवे है जी.
पुखराज जाँगिड़