Thursday, September 16, 2010

जालौर-दुर्ग



सूरो गढ़ जालौर रो,
सूरां रौ सिंणगार |
अजै सुनीजै उण धरा,
वीरम दे हूंकार ||६८||
जालौर का यह वीर दुर्ग वीरों का श्रृंगार है | उसके कण-कण में आज भी विरमदेव की हूंकार सुनाई देती है |
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