Sunday, September 26, 2010
Friday, September 24, 2010
Thursday, September 23, 2010
Tuesday, September 21, 2010
Monday, September 20, 2010
Sunday, September 19, 2010
केर सांगरी की सब्जी (पंचकुटा)
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काचर बोर मतीर |
तीनूं लोकां नह मिलै,
तरसै देव अखीर ||
कैर,कुमटिया,सांगरी,काचर,बेर और मतीरे राजस्थान को छोड़कर तीनों लोकों में दुर्लभ है इनके लिए तो देवता भी तरसतें रहते है |
Saturday, September 18, 2010
Friday, September 17, 2010
हल्दी घाटी युद्ध
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वीर धरा रजथान री,
सूरां में सिर मोड़ |
हल्दी घाटी घाटियाँ,
गढ़ां सु गढ़ चितौड़ ||
हल्दी घाटी साख दे,
चेटक झाला पाण |
इण घाटी दिसै सदा,
माटी माटी राण ||
Thursday, September 16, 2010
बल बंकौ रण बंकड़ो,
सूर-सती सिर मोड़ |
प्रण बंकौ प्रबली धरा,
चंगों गढ़ चितौड़ ||६६||
बल में बांका,रण-बांकुरा,शूरों व सतियों का सिर-मौर,वचनों की टेक रखने वाला तथा आंटीला चितौड़ दुर्ग ही सर्व-श्रेष्ठ है |
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जालौर-दुर्ग
सूरो गढ़ जालौर रो,
सूरां रौ सिंणगार |
अजै सुनीजै उण धरा,
वीरम दे हूंकार ||६८||
जालौर का यह वीर दुर्ग वीरों का श्रृंगार है | उसके कण-कण में आज भी विरमदेव की हूंकार सुनाई देती है |
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जैसलमेर- दुर्ग
पच्छिम दिस पहरी सदा,
गढ़ जैसाणों सेस |
अजै रुखालो सूरतां,
अजै रुखालो देस ||
जैसलमेर का यह दुर्ग सदा से ही पश्चिम दिशा का प्रहरी रहा है | यह दुर्ग आज भी वीरता की रखवाली करता हुआ देश की रक्षा कर रहा है |
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