Friday, September 17, 2010

खेतों में काम



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2 comments:

  1. सोनै री धरती जठै
    चांदी रो असमान.
    रंग रंगीलो रसभरयो
    म्हारो प्यारो राजस्थान...
    भाई, हिंदी में तो घणा ई ब्लॉग है. मायड़भाषा राजस्थानी में बणाओ तो बांचणियाँ नै ठाठ आसी...
    आपां ई जे राजस्थानी में नईं मांडस्यां तो कुण मांडसी?
    डॉ. सत्यनारायण सोनी
    प्राध्यापक (हिंदी)
    राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय, परलीका (हनुमानगढ़)

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  2. धोरी री धरती रो रस तो इण मेहनत में ही बसे है.
    सपणौं रो झुँझारपणों इन्हे ही केहवे है जी.
    पुखराज जाँगिड़

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